हैदराबाद: फेसबुक के कर्ता-धर्ता यानि मार्क जुकरबर्ग ने अपनी कंपनी के नए नाम की घोषणा कर दी है. अब फेसबुक का नाम मेटा (meta) होगा. ये मेटा शब्द मेटावर्स शब्द से निकला है, जिसकी इन दिनों फेसबुक की वजह से दुनियाभर में चर्चा हो रही है. इस ऐलान के बाद आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि क्या इसका आपके फेसबुक, वॉट्सएप या इंस्टाग्राम पर भी असर पड़ेगा ? आखिर क्या है ये मेटावर्स ? और इस मेटावर्स को क्यों कहा जा रहा है इंटरनेट का भविष्य ?
मेटा और फेसबुक (Meta and Facebook)
फेसबुक अब तक एक सोशल मीडिया कंपनी थी लेकिन अब इस कंपनी का नाम मेटा हो गया है, जो कि अब सोशल टेकनॉलजी कंपनी होगी. कुल मिलाकर कंपनी का नाम बदला है, इसका आपके फेसबुक, इंस्टाग्राम या वॉट्सएप एकाउंट पर कोई असर नहीं पड़ने वाला. फेसबुक इनकी पेरेंट कंपनी का नाम था, जिसे बदलकर मेटा कर दिया गया है. यानि यह बदलाव फेसबुक, इंस्टाग्राम, वॉट्सएप की स्वामित्व वाली कंपनी के लिए है. मेटा प्लेटफॉर्म्स इंक या छोटा नाम मेटा, यही है फेसबुक कंपनी का नया नाम. इसका कंपनी के किसी भी एप या ब्रांड पर नहीं पड़ेगा.
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Announcing @Meta — the Facebook company’s new name. Meta is helping to build the metaverse, a place where we’ll play and connect in 3D. Welcome to the next chapter of social connection. pic.twitter.com/ywSJPLsCoD
— Meta (@Meta) October 28, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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मार्क जुकरबर्ग ने इस दौरान कहा 'हमने सामाजिक मुद्दों से जूझने और काफी करीबी प्लेटफॉर्म पर एक साथ रहते हुए बहुत कुछ सीखा है और अब समय आ गया है कि हमने जो कुछ भी सीखा है उसके अनुभव से एक नए अध्याय की शुरुआत करें. आज हम एक सोशल मीडिया कंपनी के नाम से जाने जाते हैं, लेकिन डीएनए के हिसाब से हम एक ऐसी कंपनी हैं जो लोगों को जोड़ने वाली टेक्नोलॉजी विकसित करती हैं'
इस ऐलान से क्या-क्या बदला है ?
सबसे पहले तो कंपनी का नाम फेसबुक से बदलकर मेटा प्लेटफॉर्म्स इंक (Meta Platforms Inc) यानि मेटा हो गया है. कंपनी का लोगो पर भी पहले फेसबुक लिखा था और लाइक वाले अंगूठे का निशान था जिसे अब मेटा के लोगो ने रिप्लेस कर दिया है जो इन्फिनिटी या अनंत के निशान को दर्शाता है.
अमेरिकी शेयर बाजार में फेसबुक का शेयर FB के नाम से चलता है लेकिन क्योंकि अब फेसबुक कंपनी का नाम बदलकर मेटा प्लेटफॉर्म्स इंक (Meta Platforms Inc) हो गया है तो 1 दिसंबर से कंपनी के शेयर MVRS के नाम से दिखेंगे.
मेटावर्स क्या है ?
मेटावर्स यानि वो दुनिया जो असली नहीं है लेकिन तकनीक की मदद से वो उसे असली जैसा बनाती है, जिसे हम वर्चुअल वर्ल्ड कहते हैं. इसमें आपके आस-पास के वातावरण से मेल खाता ऐसा माहौल रच दिया जाता है जो असली लगता है. मेटावर्स वर्चुअल रिएलिटी की तरह है लेकिन कुछ लोग इसे इंटरनेट का भविष्य भी कह रहे हैं.
एक हेडसेट के जरिये वर्चुअल दुनिया में सभी तरह के डिजिटल परिवेश तक आपकी पहुंच हो सकती है. यानि वर्चुअल दुनिया में कोई भी काम, खेल, दोस्तों के बातचीत, परिवार के साथ संपर्क, कॉन्सर्ट या किसी शादी समारोह में मौजूदगी मुमकिन है.
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The metaverse is the next evolution of social connection. It's a collective project that will be created by people all over the world, and open to everyone. You’ll be able to socialize, learn, collaborate and play in ways that go beyond what’s possible today. pic.twitter.com/655yFRm8yZ
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नहीं समझ आया क्या ?
क्या आप VR Game यानि वर्चुअल रिएलिटी (Virtual Reality) गेम्स के बारे में जानते हैं. इसके बारे में सुना या देखा तो जरूर होगा. जिसमें वर्चुअल रिएलिटी हेडसेट आंखो पर लगाया जाता है और फिर गेम खेला जाता है. आपने ज्यादातर टेनिस, बॉक्सिंग जैसे खेल देखे होंगे. दरअसल इन वीडियो गेम्स में जब वर्चुअल रिएलिटी जुड़ जाती है तो खिलाड़ी गेम सिर्फ बटन या रिमोट के इस्तेमाल से दूर बैठे नहीं खेलता बल्कि वर्चुअल रिएलिटी हेडसेट के जरिये वो गेम की आभासी यानि वर्चुअल दुनिया में पहुंच जाता है. जहां उसे लगता है कि वो उसी गेम के बीच मौजूद है और खेल रहा है.
मेटावर्स में भी ऐसा ही होगा यानि वर्चुअल वर्ल्ड में, स्कीन में जो भी हो रहा है या आप देख पा रहे है. वो आपके इर्द गिर्द होने लगेगा या आप उसके इर्द गिर्द होंगे. आसान भाषा में कहें तो आप सिर्फ स्क्रीन देखेंगे नहीं बल्कि आप एक तरह से स्क्रीन के अंदर पहुंच जाएंगे.
अब भी नहीं समझे ?
मान लीजिए कि आपके दोस्त की शादी है लेकिन आप उसमें शामिल नहीं हो पाए. इन दिनों आप सिर्फ फोन करके या ज्यादा से ज्यादा वीडियो कॉल के जरिये अपने दोस्त को बधाई देंगे और शादी में आए दूसरे दोस्त से बातचीत करेंगे. लेकिन मेटावर्स में आप वीडियो कॉल में एक दूसरे को सिर्फ देखेंगे नहीं बल्कि आभासी रूप से वीडियो कॉल के अंदर मौजूद रहेंगे. जैसा की वर्चुअल रिएलिटी हेडसेट पहनकर गेम खेलते हैं.
और क्या-क्या कर पाएंगे ?
मेटावर्स में कल्पना की कोई सीमा नहीं होगी, इसीलिये कुछ विशेषज्ञ इसे इंतरनेट का भविष्य कह रहे हैं. जहां ऑनलाइन होने वाली हर गतिविधि में आप मौजूद हो सकते हैं. ये सब आप आभासी यानि वर्चुअल रूप में कर पाएंगे लेकिन ये सच है कि दोस्त के घर, दफ्तर, शादी, समारोह, कॉन्सर्ट से लेकर ऑनलाइन सैर, ग्रुप डिस्कशन, शॉपिंग के लिए घर या एक जगह पर बैठे-बैठे सीधे मॉल में मौजूद रह सकते हैं.
वर्क फ्रॉम होम के लिए सबसे बड़ा बदलाव
कोरोना संक्रमण के दौर में दुनियाभर में वर्क फ्रॉम होम का कल्चर बढ़ा है. इस दौरान वीडियो कॉलिंग, जूम मीटिंग का चलन भी बढ़ा है. इसलिये कई विशेषज्ञ इस मेटावर्स को वर्क फ्रॉम होम के क्षेत्र में सबसे बड़े बदलाव के रूप में देख रहे हैं. इस तकनीक के जरिये वर्क फ्रॉम होम होते हुए भी वर्चुअल ऑफिस में सब मिल बैठकर बात और काम कर सकेंगे. फेसबुक ने कंपनियों के लिए मीटिंग सॉफ्टवेयर भी लॉन्च कर दिया है, जिसे होराइजन वर्करूम्स कहते हैं. इसमें भी वीआर हेडसेट का इस्तेमाल होता है.
मेटावर्स पर सिर्फ फेसबुक का हक है ?
ऐसा बिल्कुल नहीं है क्योंकि गेमिंग की दुनिया में मेटावर्स पहले से मौजूद है और उसमें कंपनियों और ग्राहकों दोनों की खासी दिलचस्पी है. आज लोग घर में बैठकर एक वर्चुअल रिएलिटी हेडफोन के जरिये गेम की दुनिया में पहुंचकर उसका मजा ले रहे हैं.
फेसबुक के अलावा माइक्रोसोफ्ट से लेकर निविडिया जैसी कई कंपनियां मेटावर्स पर काम कर रही हैं और इसी में भविष्य खोज रही हैं. एक्सपर्ट मानते हैं कि मेटावर्स का रुख करने वाली कंपनियां अपनी-अपनी वर्चुअल दुनिया बना रही हैं. ये ठीक वैसा ही है जैसे World Wide Web यानि www.com पर अपनी-अपनी वेबसाइट बनाई हैं. इसके लिए कंपनियों को एक मत होना होगा ताकि मेटावर्स की दुनिया में सब आसानी से हो सके. ताकि आप एक से दूसरी दुनिया में आसानी से आ या जा सकें, चाहे वो कोई भी कंपनी हो. जैसा कि आप फिलहाल एक वेबसाइट से दूसरी वेबसाइट पर आसानी से चले जाते हैं.
मेटावर्स की राह के रोड़े
मेटावर्स का इस्तेमाल अभी फिलहाल सिर्फ गेमिंग में ही हो रहा है. जुकरबर्ग जिस वर्चुअल भविष्य की तरफ इशारा कर रहे हैं उसकी राह में कई रोड़े हैं
सबसे पहले तो इसमें लगने वाला वक्त, पैसा और तकनीक. भले ये पूरा खेल तकनीक से जुड़ा हो लेकिन इसमें वक्त लगना लाजमी है. कुछ लोग इसे फिलहाल दूर की कौड़ी बता रहे हैं. फेसबुक के अलावा कई और कंपनियां मेटावर्स में अपना भविष्य तलाश रही हैं. मौजूदा वक्त में जिस तरह से इंटरनेट पर आप एक वेबसाइट से दूसरी वेबसाइट पर पहुंचते हैं, मेटावर्स में ऐसा संभव करने के लिए टेक कंपनियों को जल्द से जल्द सहमत होना होगा.
कुछ जानकार प्राइवेसी को लेकर भी चिंतित हैं. क्योंकि उन्हें लगता है कि इस तकनीक के जरिये बहुत सारे निजि डेटा पर टेक कंपनियों की पहुंच होगी. जिससे प्राइवेसी की सीमा पूरी तरह से खत्म हो जाएगी. वर्चुअल रिएलिटी गेम खेलने के लिए मिलने वाले हेडसेट बहुत महंगे होते हैं. भविष्य में मेटावर्स की वर्चुअल दुनिया के लिए भी ऐसे ही हेडसेट की जरूरत होगी, जो कि एक बड़ी आबादी की पहुंच से बाहर होंगे. ऐसे में मेटावर्स की वर्चुअल दुनिया को असलियत का अमलीजामा पहनाने की राह में कई रोड़े हैं.
नाम बदलने के पीछे और भी वजह है ?
नाम बदलने के लिए जुकरबर्ग भले भविष्य और तकनीक का हवाला देकर सोशल मीडिया कंपनी के सोशल टेक्नॉलजी कंपनी की तरफ बढ़े कदम के रूप में बता रहे हों लेकिन कुछ एक्सपर्ट का इसके पीछे एक और मत है. कुछ जानकार मानते हैं कि फेसबुक इस वक्त बुरे दौर से गुजर रहा है. बीते कुछ सालों में निजता के हनन से लेकर हेट स्पीच, फेक न्यूज जैसे मोर्चे पर कंपनी एक्शन नहीं ले पाई. जिसके चलते कंपनी पर कई आरोप लगे और उसकी छवि को नुकसान भी पहुंचा है. इसे लेकर फेसबुक के ही कुछ कर्मचारियों ने कंपनी की पॉलिसी पर सवाल उठाए हैं.
अमेरिका की मीडिया ही इसे सिर्फ कंपनी का नाम बदलने के रूप में देख रही है. मीडिया के मुताबिक ये सिर्फ और सिर्फ कंपनी की बुरी इमेज से पीछा छुड़ाने की कवायद है, कंपनी में नाम के अलावा कुछ नहीं बदल रहा क्योंकि कंपनी के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ही रहेंगे और बाकी अधिकारी भी अपने अपने पदों पर बने रहेंगे.